Type Here to Get Search Results !

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए


  


हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए ..............2
यह मन न जाने क्या क्या कराए कुछ बनन पाया अपने बनाए-........2

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए

संसार में ही आसक्त रह कर दिन रात अपने मतलब की कहकर

संसार में ही आसक्त रहकर दिन रात अपने मतलब की कहकर
सुख के लिए दुख लाखों सहन कर

ये दिन अभी तक यो ही बिताए सुख के लिए दुख लाखों सहन कर ये दिन अभी तक यो ही बिताए

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए [

ऐसा जगा दो फिर सो ना जाऊ
अपने को निष्काम प्रेमी बनाऊं

ऐसा जगा दो फिर सो ना जाऊ
अपने को निष्काम प्रेमी बनाऊं

मैं आपको चाहूं और पाऊं
संसार का भय रह कुछ ना जाए

मैं आपको चाह और पाऊ
संसार का भय रह कुछ ना जाए

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए

वह योग्यता दो सत्कर्म कर लू अपने हृदय में सदभाव भर लू
वह योग्यता दो सत्कर्म कर लू अपने हृदय में सदभाव भर लू

नर तन है साधन भव सिंधु तर लू
ऐसा समय फिर आए ना आए


नर तन है साधन भव सिंधु तर लू
ऐसा समय फिर आए ना आए

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए

हे नाथ मुझे निर् भिमानी बना दो दारिद्र्य हरलो
दानी बना दो ना मुझे निर्भया बना दो दारिद्र्य दानी बना दो

आनंदमय विज्ञानी बना दो मैं हूं तुम्हारी आशा लगाए
आनंदमय विज्ञानी बना दो मैं हूं तुम्हारी आशा लगाए

हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने ना पाए जीवन निरर्थक जाने न पाए जीवन निरर्थक जाने ना पाए जीवन निरर्थक जाने ना पाए

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

अध्यात्म स्पेशल