Type Here to Get Search Results !

जो किस्मत जगत की बनावे हैं सारे


जो किस्मत जगत की बनावे हैं सारे

तो क्यू ना चले 2 


उन्ही को पुकारे

यही मंत्र जपते  ऋषि सन्त सारे

यही मंत्र जपते हैं ऋषि सन्त सारे

हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे


नदी में हुईं ग्राह गज की लड़ाई

पुकारा था गजने कन्हाई कन्हाई


ब्रज राज आ करके गज को उबारे

तो ब्रज राज आ करके गज को उबारे

गई आह जब रुकमिडी कैद [आरे

हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुररे . ॥


हैं प्रहलाद की जानते सब कहानी

उन्हें होलिका जब जलाने को ठानीज्ली होलिका जब मुरारी पधारे

जा जब मुरारी रारी प'

प्रहलाद जपते थे जि किनारे

हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।सुदामा थे निर्धन प्रभू के पुजारी

दसा देख कर रो दिए थे मुरारी

सब कुछ मिला उनको मभू के दुआरे

और यहीं मंत्र जप कर वो गुजारे

हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।

कहा आज तक तू भटकता था

विनय तुम भी बन जाओ प्रभु रा्टी

उबारेंगे राजन तो जो उबारे

यहीं मंत्र जपना हैं रह कर सहारे

हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

अध्यात्म स्पेशल